ग्राम कचहरी की अभिनव व्यवस्था
बिहार सम्भवतः अकेला ऐसा राज्य है, जहा बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-90 के तहत ग्राम कचहरी की स्थापना का प्रावधान है। सभी पंचायतों में ग्राम कचहरी का गठन किया गया है। ग्राम वासियों को अपने विश्वास से चुने गये जन प्रतिनिधियों के द्वारा बिना किसी उलझन एवं परेशानी के, बिना किसी अनावश्यक खर्च के, न्याय सुलभ हो, और ग्राम वासियों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण बना रहे, इसी मुख्य उद्देश्य से ग्राम कचहरी की स्थापना की गई है। न्यायपीठ का गठन चार पंच तथा सरपंच सहित कुल पाँच सदस्यों से किया जायेगा। वाद दायर होने के बाद न्यायपीठ सौहाद्रपूर्ण समझौता से वाद का निष्पादन का यथासंभव प्रयास करेगी। सौहाद्रपूर्ण समझौता नहीं होने की स्थिति में न्यायपीठ जांच कर अपना निर्णय देगी।
दाण्डिक अधिकारिता - ग्राम कचहरी को दाण्डिक अधिकारिता के अन्तर्गत भारतीय दण्ड संहिता की धारा- 140, 142, 143, 145, 147, 151, 153, 160, 172, 174, 178, 179, 269, 277, 283, 285, 286, 289, 290, 294(ए), 332, 334, 336, 341, 352, 356, 357, 374, 403, 426, 428, 430, 447, 448, 502, 504, 506 एवं 510 के तहत किये गये अपराधों के लिये केस को सुनने एवं निर्णय देने की अधिकारिता होगी। इन क्रिमिनल धाराओं के सुनवाई के उपरान्त ग्राम कचहरी को एक हजार रुपये तक जुर्माना करने की शक्ति दी गई है। परन्तु ग्राम कचहरी को कारावास की सजा देने का कोई अधिकार नहीं है।
सिविल अधिकारिता - ग्राम कचहरी को अपनी सिविल अधिकारिता के तहत धारा-110 के अनुसार दस हजार रुपये से कम मूल्य से संबंधित निम्नलिखित सिविल मामलों में यथाः लगान की वसूली, चल सम्पत्ति को क्षति पहुँचाने, बँटवारा के मामला को सुनने का अधिकार दिया गया है।
अपील- ग्राम कचहरी की न्यायपीठ के किसी आदेश या निर्णय के विरूद्ध अपील आदेश पारित होने के 30 दिनों के भीतर ग्राम कचहरी में पूर्ण न्यायपीठ के समक्ष दायर की जायेगी, जिसमें 7 पंचों से गणापूर्ति होगी। ग्राम कचहरी के पूर्ण पीठ के न्याय निर्णय के विरूद्ध आदेश पारित होने के 30 दिनों के अन्दर सिविल मामले में अवर न्यायाधीश के समक्ष एवं आपराधिक मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष दायर की जायेगी।
पुलिस एवं न्यायपालिका की भूमिका- धारा-113 के अन्तर्गत ग्राम कचहरी के न्यायपीठ द्वारा विचारणीय कोई अपराध किये जाने की स्थिति में किसी थाना पदाधिकारी को दिये गये प्रत्येक सूचना की जानकारी ग्राम कचहरी की न्यायपीठ को, जिसके सीमा क्षेत्र में अपराध किया गया है, ऐसी सूचना की प्राप्ति के 15 दिनों के अन्दर दी जायेगी। आशय यह है कि ग्राम कचहरियों के अधिकार क्षेत्र के मामले में पुलिस के द्वारा कार्रवाई न कर उन्हें ग्राम कचहरियों के द्वारा सुलझा लिये जाने की व्यवस्था पुलिस के द्वारा भी सुनिश्चित किया जाय।
दण्डाधिकारी या मुंसिफ के न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले में किसी स्तर पर यदि संज्ञान में यह आता है कि मामला ग्राम कचहरी के न्यायपीठ के द्वारा विचारणीय है, तो यथास्थिति संबंधित न्यायालय तुरंत ऐसे मामले या वाद को ग्राम कचहरी को अन्तरित कर देगा।
पुलिस विभाग को ग्राम कचहरियों को सहयोग देने के लिए पुलिस मुख्यालय से आवष्यक निदेष दिये गये हैं।
दाण्डिक अधिकारिता - ग्राम कचहरी को दाण्डिक अधिकारिता के अन्तर्गत भारतीय दण्ड संहिता की धारा- 140, 142, 143, 145, 147, 151, 153, 160, 172, 174, 178, 179, 269, 277, 283, 285, 286, 289, 290, 294(ए), 332, 334, 336, 341, 352, 356, 357, 374, 403, 426, 428, 430, 447, 448, 502, 504, 506 एवं 510 के तहत किये गये अपराधों के लिये केस को सुनने एवं निर्णय देने की अधिकारिता होगी। इन क्रिमिनल धाराओं के सुनवाई के उपरान्त ग्राम कचहरी को एक हजार रुपये तक जुर्माना करने की शक्ति दी गई है। परन्तु ग्राम कचहरी को कारावास की सजा देने का कोई अधिकार नहीं है।
सिविल अधिकारिता - ग्राम कचहरी को अपनी सिविल अधिकारिता के तहत धारा-110 के अनुसार दस हजार रुपये से कम मूल्य से संबंधित निम्नलिखित सिविल मामलों में यथाः लगान की वसूली, चल सम्पत्ति को क्षति पहुँचाने, बँटवारा के मामला को सुनने का अधिकार दिया गया है।
अपील- ग्राम कचहरी की न्यायपीठ के किसी आदेश या निर्णय के विरूद्ध अपील आदेश पारित होने के 30 दिनों के भीतर ग्राम कचहरी में पूर्ण न्यायपीठ के समक्ष दायर की जायेगी, जिसमें 7 पंचों से गणापूर्ति होगी। ग्राम कचहरी के पूर्ण पीठ के न्याय निर्णय के विरूद्ध आदेश पारित होने के 30 दिनों के अन्दर सिविल मामले में अवर न्यायाधीश के समक्ष एवं आपराधिक मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष दायर की जायेगी।
पुलिस एवं न्यायपालिका की भूमिका- धारा-113 के अन्तर्गत ग्राम कचहरी के न्यायपीठ द्वारा विचारणीय कोई अपराध किये जाने की स्थिति में किसी थाना पदाधिकारी को दिये गये प्रत्येक सूचना की जानकारी ग्राम कचहरी की न्यायपीठ को, जिसके सीमा क्षेत्र में अपराध किया गया है, ऐसी सूचना की प्राप्ति के 15 दिनों के अन्दर दी जायेगी। आशय यह है कि ग्राम कचहरियों के अधिकार क्षेत्र के मामले में पुलिस के द्वारा कार्रवाई न कर उन्हें ग्राम कचहरियों के द्वारा सुलझा लिये जाने की व्यवस्था पुलिस के द्वारा भी सुनिश्चित किया जाय।
दण्डाधिकारी या मुंसिफ के न्यायालय के समक्ष लंबित किसी मामले में किसी स्तर पर यदि संज्ञान में यह आता है कि मामला ग्राम कचहरी के न्यायपीठ के द्वारा विचारणीय है, तो यथास्थिति संबंधित न्यायालय तुरंत ऐसे मामले या वाद को ग्राम कचहरी को अन्तरित कर देगा।
पुलिस विभाग को ग्राम कचहरियों को सहयोग देने के लिए पुलिस मुख्यालय से आवष्यक निदेष दिये गये हैं।
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