भगवान विष्णु के 10 अवतार कौन-कौन से हैं?
भगवान विष्णु के 10 अवतार कौन-कौन से हैं? भगवान विष्णु हिन्दुओं के तीन महा देवताओं में से एक हैं। भगवान विष्णु के दस अवतारों को संयुक्त रूप से 'दशावतार' कहा जाता है। जब मानव अन्याय और अधर्म के दलदल में खो जाता है, तब भगवान विष्णु उसे सही रास्ता दिखाने हेतु अवतार ग्रहण करते हैं। आज की इस पोस्ट में हम आपको भगवान विष्णु के 10 अवतारों से रूबरू करा रहे हैं।
भगव� ��न विष्णु के 10 अवतार कौन-कौन से हैं?
भगवान विष्णु के 10 अवतार कौन-कौन से हैं?
भगवान विष्णु, प्रथम युग यानि सतयुग में अपने प्रथम तीन अवतार - मत्स्य, कूर्म और वराह रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए। दूसरा युग, त्रेतायुग में भगवान विष्णु को अपने चार अवतार - नरसिंह, वामन, परशुराम और राम के रूप में धरती पर अवतार लेना पड़ा। तीसरा युग, द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने अपना आंठवा अवतार - कृष्ण तथा नौवा अवतार भगवान बुद्ध के रूप में लिया। इस समय कलियुग चल रहा है और भागवत पुर� �ण की भविष्यवाणी के आधार पर इस युग के अंत में कल्कि भगवान विष्णु का दसवां तथा अंतिम अवतार होगा।
- मत्स्य
- कूर्म
- वराह
- नरसिंह
- वामन
- परशुराम
- राम
- कृष्ण
- बुद्ध
- कल्कि
दोस्तों आपको बता दें कि - कुछ लोग भगवान विष्णु का नौवां अवतार भगवान बुद्ध को नहीं बलराम को मानते हैं। लेकिन, बलराम को आदिशेष का अवतार माना जाता है। इसीलिए, लोग चाहे कुछ भी कहे; लेकिन, भगवान विष्णु का नौवां अवतार भगवान बुद्ध को ही माना जाता है। आइए दोस्तों, अब हम एक-एक करके भगवान विष्णु के सभी अवतारों से परिचित होते हैं।
भगवान विष्णु का प्रथम अवतार (मत्स्य)
जब संसार को किसी प्रकार का खतरा होता है; तब भगवान विष्णु धरती पर अवतार लेते हैं। भगवान विष्णु का पहला अवतार मत्स्य अवतार है। एक बार ब्रह्माजी की असावधानी के कारण एक बहुत बड़े दैत्य ने वेदों को चुरा लिया। उस दैत्य का नाम 'हयग्रीव' था। वेदों को चुरा लिए जाने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया। चारों ओर अज्ञानता का अंधकार फैल गया और पाप तथा अधर्म का बोलबाला हो गया। तब भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य रूप धारण करके हयग्रीव का वध किया और वेदों की रक्षा की।
भगवान विष्णु का प्रथम अवतार (मत्स्य)
भगवान विष्णु का दूसरा अवतार (कूर्म)
भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कूर्म अवतार को कश्यप अवतार भी कहा जाता है। कश्यप यानी हिंदी में कछुआ। इस अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदर पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदर पर्वत और वासुकि नामक सर्प की सहायता से देवों एवं असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की।
दोस्तों आपको बता दें - एकादशी का उपवास लोक में कच्छपावतार के बाद ही प्रचलित हुआ। कूर्म पुराण में विष्णु ने अपने कच्छपावतार में ऋषियों से जीवन के चार लक्ष्यों (धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष) का वर्णन किया था।
भगवान विष्णु का दूसरा अवतार (कूर्म)
भगवान विष्णु का तीसरा अवतार (वराह)
भगवान विष्णु का तीसरा अवतार वराह अवतार है उन्हें यह अवतार इसीलिए लेना पड़ा क्योंकि उन्हें दैत्य हिरण्याक्ष का वध तथा पृथ्वी का उद्धार करना था। इस अवतार में भगवान विष्णु ने वराह रूप में आकर पृथ्वी को अपने विशाल दाढ़ से उठाकर समुद्र से बाहर निकाला था।
भगवान विष्णु का तीसरा अवतार (वराह)
भगवान विष्णु का चौथा अवतार (नरसिंह)
भक्त प्रल्हाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया था और राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था। हिरण्यकश्यप का वध करना इतना आसान नहीं था; क्योंकि, भगवान ब्रह्मा से उसे एक विशेष वरदान प्राप्त था। जिसके चलते वह खुद को ही भगवान मान रहा था। आपको बता दें हिरण्यकश्यप, हिरण्याक्ष का भाई था। हिरण्याक्ष के वध के समय वराह रूपी भगवान विष्णु ने उसने कहा था कि - हिरण्यकश्यप के पाप का अं� � अभी नहीं हुआ है। उसका अंत करने के लिए मैं नरसिंह अवतार लूंगा।
भगवान विष्णु का चौथा अवतार (नरसिंह)
भगवान विष्णु का पांचवा अवतार (वामन)
दैत्यराज बली बेहद ताकतवर और बलवान था। उनके गुरु शुक्राचार्य उनका मार्गदर्शन करते थे। दैत्यराज बली ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था। लेकिन, गुरु शुक्राचार्य ने उन्हें बताया कि - स्वर्ग का राजा वही बन सकता है; जिसने 100 यज्ञ किए होंगे। अगर बली स्वर्ग का राजा बनना चाहता है; तो उसे भी यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इससे सभी देव तथा देवता भयभीत होकर भगवान विष्णु से प्रार्थना करने के लिए आ पहु� �चे। भगवान विष्णु ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह बलि से स्वर्ग का साम्राज्य वापस लेकर सभी देवताओं को लौटा देंगे। इसलिए, भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया।
भगवान विष्णु का पांचवा अवतार (वामन)
भगवान विष्णु का छठा अवतार (परशुराम)
क्षत्रियों के अहंकारी विध्वंस से संसार को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपना छठा अवतार परशुराम के रूप में लिया। इसके पश्चात उन्होंने क्षत्रियों का कई बार विनाश किया था। भगवान शंकर ने इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर पशु शस्त्र प्रदान किया था। जैसे कि इनका नाम राम था और परशु प्राप्त करने के कारण इनका नाम परशुराम हो गया।
भगवान विष्णु का छठा अवतार (परशुराम)
भगवान विष्णु का सातवां अवतार (राम)
भगवान विष्णु को यह अवतार इसीलिए लेना पड़ा क्योंकि उन्हें महर्षि नारद मुनि द्वारा श्राप दिया गया था। उनके श्राप के अनुसार जिस तरह नारद मुनि धरती एक स्त्री के लिए तरसे हैं। बिल्कुल उसी प्रकार भगवान विष्णु को भी स्त्री के लिए धरती पर तरसना होगा। इसी श्राप के कारण भगवान विष्णु ने धरती पर राम रूप में जन्म लिया और (मां) सीता से वियोग का दर्द सहा।
भगवान विष्णु का सातवां अवतार (राम)
भगवान विष्णु का आठवां अवतार (कृष्णा)
पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ रहा था। पापों के बोझ से पृथ्वी दबी जा रही थी। तब पृथ्वी, ब्रह्मा जी के साथ भगवान नारायण के पास पहुंची और कहने लगी ''हे भगवान, मैं पापों के बोझ से दबी जा रही हूं; मुझे मुक्ति दीजिए''। पृथ्वी माता की बातें सुनकर भगवान विष्णु बोले ''मैं वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रुप में जन्म लूंगा''। भगवान विष्णु ने कृष्णा अवतार पृथ्वी को पापों से मुक्त तथा राक्षसों का संहार करने के लिए लिया था।
भगवान विष्णु का आठवां अवतार (कृष्णा)
भगवान विष्णु का नौवां अवतार (बुद्ध)
भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का एक अवतार भी माना है। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि बुद्ध अवतार थे या नहीं थे इस पर विवाद है। आइए इसे सुलझाने की कोशिश करते हैं।
तत: कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्।
बुद्धो नाम्नाञ्जनसुत: कीकटेषु भविष्यति ॥ 24 ॥
अर्थात : कलियुग की शुरुआत में भगवान, अंजना के पुत्र, बुद्ध रूप में बिहार के गया प्रांत में अवतरित होंगे। इस अवतार का प्रयोजन होगा निष्ठावान आस्तिकों से ईर्ष्या रखने वालों को भ्रमित करना।
तो दोस्तों, इस श्लोक में भगवान के अवतार का जन्म स्थान और माता का नाम अवतरण से २५०० वर्ष पहले ही बता दिया गया है; जो की १००% प्रतिशत सही था। इससे श्रीमद भागवतम की सत्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब हम अब श्रीमद भागवतम की सत्यता को जान चुके हैं, तो भगवान बुद्ध को भगवान का अवतार मानने में हमें कोई कष्ट नहीं होना चाहिए।
भगवान विष्णु का नौवां अवतार (बुद्ध)
भगवान विष्णु का दसवां अवतार (कल्कि)
कल्कि पुराण के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु अपने अंतिम अवतार कल्कि रूप में अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। पुराणों के अनुसार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। कल्कि देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे।
भगवान विष्णु का दसवां अवतार (कल्कि)
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