हर आहटों पर हमने मंजील को रुकते देखा है - Shayari

हर आहटों पर हमने मंजील को रुकते देखा है
मंजील की चाह मे मुसाफिर को झुकते देखा है
इतना समझ ले कि बागवां नही है जिन्दगी
हमने गुलो की शाख पे काँटो को आते देखा है


इस जिन्दगी मे आनी थी जो तमन्ना की बरात
वो तमन्नाओं का जंगल हमने उजड़्ते देखा है
लोग कहते है कि जिन्दगी प्यार का सागर होता है
गमों का समन्दर मगर हमने उफनते देखा है



if you want to share your story or article for our Blog please email us at educratsweb@gmail.com or Click here

Post a Comment

0 Comments