श्री अन्नपूर्णा चालीसा श्री अन्नपूर्णा चालीसा ॥ दोहा ॥ विश्वेश्वर-पदपदम की, रज-निज शीश-लगाय। अन्नपूर्णे! तव सुयश, बरनौं कवि-मतिलाय॥ ॥ चौपाई ॥ नित्य आनन्द करिणी माता। वर-अरु अभय भाव प्रख्याता॥ जय! सौंदर्य सिन्धु जग-जननी। अखिल पाप हर भव-…
Read moreAnnapurna Maa ki Aarti-श्री माँ अन्नपूर्णा आरती Annapurna Maa ki Aarti-श्री माँ अन्नपूर्णा आरती http://educratsweb.com/users/images/3837-contents.jpg आरती देवी अन्नपूर्णा जी की बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम। जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम…
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