पटना के महिला कॉलेजों में जींस क्यों नहीं पहनती लड़कियां?


ये चर्चाएं इन दिनों पटना के महिला कॉलेजों में चल रही हैं. लेकिन ये चर्चाएं छात्राओं में नहीं, कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारियों के बीच हो रही हैं.
इन चर्चाओं का परिणाम यह निकला है कि पटना के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में शुमार मगध महिला कॉलेज में जींस और लेगिंग्स पहनने पर रोक लगा दी गई है. इतना ही नहीं, छात्राओं को सलाह दी गई है कि गाढ़ी लिपस्टिक और आईलाइनर लगाकर कॉलेज न आएं.
पटना वीमेंस कॉलेज
छात्राओं के लिए एक ड्रेस कोड भी तय कर दिया गया है- सलवार, कुरता, दुपट्टा और कॉलेज का ब्लेजर. इसके अलावा वो कुछ पहनती हैं तो उन्हें कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा.

पटना वीमेंस कॉलेजइमेज कॉपीरइटALKA/SHAMBHAVI/BBC
Image captionअलका और शाम्भवी शोभना

'को-एड कॉलेजों में ऐसी पाबंदियां नहीं'

यह कहानी सिर्फ मगध महिला कॉलेज की नहीं है. पटना वूमेंस कॉलेज में भी इसी तरह के नियम छात्राओं पर लागू होते हैं.
ये फ़ैसले सख्ती से लागू किए जाते हैं. छात्राएं प्रशासनिक कार्रवाई के डर से इसका विरोध नहीं करतीं. बीबीसी ने इस विषय पर कई छात्राओं से बात करने की कोशिश की, लेकिन कुछ बोलने को वो तैयार नहीं हुईं.
पटना वूमेंस कॉलेज से इस साल पास हुईं शाम्भवी शोभना और अलका ने बीबीसी के साथ कॉलेज के अपने अनुभव साझा किए.
शाम्भवी कहती हैं, "ऐसी पाबंदियां पटना के को-एड कॉलेजों में देखने को नहीं मिलती है. जबकि पटना वूमेंस कॉलेज सहित अन्य महिला कॉलेजों में इसे थोपा जाता है. लड़कियों को इन्हें बर्दाश्त भी करना पड़ता है."
अलका कहती हैं, "अगर हम एक महिला कॉलेज में पढ़ रहे हैं तो वहां लड़के तो होंगे नहीं. माहौल सुरक्षित होता है फिर भी पहनावे पर रोक लगाई जाती है."

मगध महिला कॉलेज
Image captionमगध महिला कॉलेज द्वारा जारी की गई सूचना

कॉलेज का तर्क

जींस और लेगिंग्स पर रोक लगाने के पीछे कॉलेज प्रशासन के अपने तर्क हैं. मगध महिला कॉलेज की प्राचार्या डॉ. शशि शर्मा कहती हैं कि यह कोई नया फैसला नहीं है.
वो कहती हैं, "यह ड्रेस कोड पहले से लागू है, मैंने बस इसे दोबारा लागू किया है. ड्रेस कोड अमीर और गरीब छात्राओं के बीच भेदभाव ख़त्म करने के उद्देश्य से लागू किया गया है."
वो दावा करती हैं कि इसे छात्राओं की मांग पर लागू किया गया है. वहीं पटना वूमेंस कॉलेज की मीडिया कोऑर्डिनेटर मिनती चकलानविस भी इसी तरह के तर्क देती हैं.
इन दोनों अधिकारी से जब पूछा गया कि ड्रेस कोड में जींस या लेगिंग्स को शामिल क्यों नहीं किया जाता, वो भी एक पहनावा है तो उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.
छात्राएं ड्रेस कोड का पालन करें इसकी जांच के लिए कॉलेजों में स्टूडेंट कैबिनेट भी सक्रिय रहता है.
मगध महिला कॉलेज के स्टूडेंट कैबिनेट की वर्तमान सांस्कृतिक सचिव नेहा कुमारी कहती हैं कि अगर लड़कियां जींस या लेगिंग्स पहनती हैं तो छेड़खानी की आशंका बढ़ जाती है क्योंकि ये कपड़े शरीर से चिपक जाते हैं और भड़काऊ लगते हैं.


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